सोमवार, 30 अक्तूबर 2023

नई आस

                 नई आस               

कल्पना साकार होता दिख रहा है,
आसमाँ फिर साफ होता दिख रहा है।।
छाई थी कुछ काल से जो कालिमा,
आज फिर से धुंध छटता दिख रहा है ।
कल्पना साकार....

खारमय आँगन में बिखरी थी लताएँ,
कह रही थी अपनी अंतश की व्यथाएँ।
आती जाती दल मधुप की सरसराहट,
कुछ नवीन सन्देश देता दिख रहा है ।
कल्पना साकार....

धूल धूसरित पंछियो का चहचहाना,
सुप्त तुफाओं का फिर से फैल जाना।
तोड़कर दुश्मन के शस्त्रों को गरजकर,
बादलों का बरष जाना दिख रहा है ।
कल्पना साकार....

निकरों के व्यवहार का आघात सहते,
संत बन हर कृतघ्नता का घात सहते।
गिरा बेबस कण्ठ कुण्ठित थे जो कब से,
आज फिर से मुखर होता दिख रहा है ।
कल्पना साकार....

नई किरण से सज रही है शहर फिर से,
ले रही अंगड़ाइयाँ दोपहर फिर से ।
बज रही शहनाइयां और ढोल,ताशे,
आह्लादित देवतागण दिख रहा है ।
 कल्पना साकार....

✒️✒️✒️- रामावतार चंद्राकर 





बुधवार, 14 जून 2023

आयो बसंत

नव अरुणिमा की रश्मि दिनकर 
मंगलदीप जलावत आवत 
तिमिरांगण के समरभूमि
निज शौर्य प्रभा बिखरावत आवत
हेतु बने नव आस दिखावत
धवल ध्वजा फहरावत आवत
भरी भरी थाल ले द्वार पे सखिया
बन्दनवार सजावत आवत
हो प्रसन्न ऋतुराज बहुविधि  
त्रिविध बयार बहावत आवत
कण्ठ पे मिश्री घोल कोयलिया
मंगल शबद सुनावत आवत 
उपवन की शोभा को बढ़ावत
नवकलियाँ दल खिल खिल जावत


नई आस

                 नई आस                कल्पना साकार होता दिख रहा है, आसमाँ फिर साफ होता दिख रहा है।। छाई थी कुछ काल से जो कालिमा, आज फिर से ध...